30 वर्षों से माइग्रेन से जूझ रहीं रजनी चौहान ने कई डॉक्टर्स और क्लीनिक्स के चक्कर काटे, लेकिन समस्या बनी रही। माइग्रेन के डर से वह दिन में तीन बार पेनकिलर लेने पर मजबूर हो गईं। इलाज पर अब तक 25-30 लाख रुपये खर्च होने के बावजूद राहत न मिलने से उनकी स्थिति और बिगड़ गई।
रजनी कहती हैं, “सिर दर्द शुरू होते ही ऐसा लगता है कि सिर दीवार पर पटक दूं। मुझे पेनकिलर से नुकसान का पता है, लेकिन दर्द सहन करना मुश्किल होता है।”
लंबे संघर्ष के बाद, रजनी को अखबार के जरिए पड़ाव सेंटर और पद्मश्री आचार्य बालेंदु प्रकाश के आयुर्वेदिक इलाज के बारे में जानकारी मिली। यहां उन्होंने न केवल दवाइयां लीं बल्कि सख्त डाइट प्लान का पालन भी किया। इलाज के दौरान चाय पीना और दिन में सोना मना था। हर दो घंटे में हल्का-फुल्का खाना अनिवार्य था। इन बदलावों से उन्हें राहत मिली।
रजनी बताती हैं, “इलाज के बाद मेरी समस्याएं खत्म हो गई थीं। लेकिन डाइट प्लान फॉलो नहीं करने और लापरवाही के कारण माइग्रेन वापस लौट आया।”
रजनी मानती हैं कि यदि वह अपने खान-पान और आदतों का ध्यान रखतीं, तो माइग्रेन दोबारा न लौटता। उनकी लापरवाही में सुबह भूखे रहना और सिर दर्द होते ही पेनकिलर लेना शामिल था।
2024 में हरेला पर्व के दौरान कड़ी धूप में नाश्ते के बाद की दवा लेना भूलने पर उन्हें भयंकर सिर दर्द हुआ, जिससे वह पूरी तरह पस्त हो गईं।
रजनी की इस बीमारी से उनका परिवार भी परेशान है। वह कहती हैं, “जब मुझे सिर दर्द होता है, तो पूरा घर तनाव में आ जाता है। अब मैं अपनी सेहत को लेकर गंभीर हूं और पड़ाव में दोबारा इलाज कराने जा रही हूं।”