एंजाइम से परे: अग्नाशयशोथ देखभाल में जीवन और आशा की बहाली

पड़ाव में रोगियों के साथ संवाद, वैद्य बालेंदु प्रकाश के नेतृत्व में

अग्नाशयशोथ (Pancreatitis) एक विनाशकारी और अक्सर दुर्बल करने वाली बीमारी है, जिसे पारंपरिक चिकित्सा में आमतौर पर प्रगतिशील माना जाता है। पड़ाव में, वैद्य शिखा प्रकाश और उनकी टीम इसे एक समग्र पुनर्स्थापना प्रक्रिया के माध्यम से देखती है। यह लेख उन युवा रोगियों की चिंताओं, सफलताओं और गहन प्रश्नों को सामने लाता है जो इस आयुर्वेदिक उपचार की तलाश में देश भर से आए हैं।

 

रोगी की यात्रा: डर और थकान

 

राजस्थान के अजमेर की एक युवती रति ने एक परिचित कहानी सुनाई: 2021 में उसके शुरुआती पेट दर्द को “गैस” कहकर टाल दिया गया था। हर 6-7 महीने में बार-बार होने वाले अटैक के बाद, उसका जीवन दर्द और अस्पताल में रहने तक सिमट गया था।

“मुझे हर सात से आठ महीने में अटैक आने लग गए थे, और मेरे घर वाले बहुत परेशान थे।”

रति के लिए, कमजोर हड्डियों (उसे तीन से चार फ्रैक्चर हुए थे) ने डर को और बढ़ा दिया था, जिससे अग्नाशयशोथ का दर्द और अधिक असहनीय हो गया था। पड़ाव को ऑनलाइन ढूंढने के बाद, उपचार के आठवें दिन से ही उसका दृष्टिकोण बदलने लगा।

  • डर की जगह आशा: कई अन्य रोगियों को देखकर, जिनमें से कुछ नए थे और कुछ वर्षों से सफलतापूर्वक स्थिर थे, उसे लगा, “मैं ठीक हो सकती हूँ।”
  • वर्जित व्यंजन: वह उन खाद्य पदार्थों को खाकर रोमांचित थी जिन्हें डॉक्टरों ने पहले ही बंद कर दिया था, जिनमें मलाई और पौष्टिक खिचड़ी शामिल थे, यह देखते हुए कि डॉक्टरों ने दूध बंद कर दिया था, लेकिन अब उसे पनीर और दही के रूप में अत्यधिक केंद्रित डेयरी मिल रही थी।

 

आयुर्वेदिक सिद्धांत: शरीर और मन को विश्राम

 

वैद्य प्रकाश ने जोर दिया कि उनका उपचार सिर्फ दवा नहीं है; यह एक पूर्ण चयापचय (metabolic) रीसेट है, जिसका मार्गदर्शन इस सिद्धांत से होता है: “सर्वं परित्यज शरीरम् अनुपालय” (सब कुछ छोड़कर शरीर की रक्षा करें)।

 

1. नींद: महत्वपूर्ण औषधि

 

रति की देर से सोने की आदत (11:00-11:30 बजे) पर बात करते हुए, वैद्य प्रकाश ने मानव जीवनशैली और प्राकृतिक चक्रों के बीच एक तीव्र विपरीतता बताई:

  • समस्या: मनुष्य प्राकृतिक चक्र को नज़रअंदाज़ करते हैं, कृत्रिम रोशनी में देर तक जागते हैं, जबकि जानवर (जैसे उनकी गायें और मुर्गियाँ) सूर्यास्त का पालन करते हैं। देर से सोने की आदतें शरीर की प्राकृतिक लय को बाधित करती हैं।
  • विज्ञान: वैद्य प्रकाश ने अध्ययनों की ओर इशारा किया कि अंगों के स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छी आरामदायक नींद रात 8:00 बजे से 12:00 बजे के बीच आती है। आराम की यह कमी कई युवा रोगियों में अग्नाशयशोथ का एक प्रमुख कारण है।

 

2. पोषण: प्रोटीन की कमी

 

वैद्य प्रकाश ने भारतीय अग्नाशयशोथ रोगियों में एक आम समस्या का निदान किया: प्रोटीन कुपोषण (Protein Malnutrition)। उन्होंने उल्लेख किया कि आशीष जैसे कई रोगी रोटी या पोहा जैसे मुख्य खाद्य पदार्थ तो खाते हैं, लेकिन शून्य प्रोटीन का उपभोग करते हैं, भले ही एक युवा व्यक्ति को अपने शरीर के वजन के तीन से पांच गुना (ग्राम में) प्रोटीन की आवश्यकता होती है।

उन्होंने रोगियों को आश्वासन दिया कि उन्हें घर पर जितना मिलता था उससे कहीं अधिक पोषण मिल रहा है, यह समझाते हुए कि आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ, पौष्टिक भोजन ऊतकों को मजबूत करने की कुंजी है (भोजन से रस बनता है, रस से रक्त, रक्त से मांसपेशी, आदि)।

 

3. गहन प्रश्न: आहार, जीवन और भविष्य

 

बरेली के 25 वर्षीय आभूषण की दुकान के मालिक आशुतोष ने अपनी जीवनशैली की गलतियाँ साझा कीं: भोजन के बीच लंबा अंतराल (सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक) और देर रात जागना (12:00 बजे)। हालांकि, उनके मुख्य प्रश्न भविष्य से संबंधित थे।

 

जीवन साथी का प्रश्न

 

आशुतोष ने पूछा कि वह एक संभावित जीवन साथी को अपनी स्थिति के बारे में कैसे समझाएँ, उन्हें डर था कि उनकी बीमारी उनके सामान्य जीवन को सीमित कर देगी।

  • वैद्य प्रकाश की सलाह: ईमानदार रहें। साथी को बीमारी और उपचार के बारे में बताएँ, उन्हें अग्नाशयशोथ और वैद्य बालेंदु प्रकाश दोनों पर शोध करने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें आश्वस्त करें कि अनुशासन के साथ, वह सामान्य जीवन जी सकते हैं, लेकिन जोर दें कि जीवन उनकी अपनी शर्तों पर जिया जाना चाहिए (जैसे, पर्यटन के लिए नहीं, बल्कि आराम के लिए छुट्टियाँ लें)।

 

समय-सारणी का टकराव

 

आशुतोष ने पूछा कि क्या वह पड़ाव के रूटीन को सिर्फ एक घंटा आगे बढ़ा सकते हैं (उदाहरण के लिए, 8 बजे के बजाय 9 बजे खाना) और फिर भी स्वस्थ रह सकते हैं।

  • उत्तर: उन्हें अपने शरीर को प्राथमिकता देनी होगी। अपने दिन को बढ़ाने के बजाय, उन्हें व्यायाम और जल्दी सोने के लिए समय निकालने हेतु अपना काम का दिन छोटा करना चाहिए (जैसे, दुकान जल्दी बंद करना)। उन्होंने सलाह दी, “आपको एक ट्रेंडसेटर बनना चाहिए,” इस बात पर ज़ोर दिया कि व्यवसाय को विश्वास और सद्भावना चलाती है, न कि लंबे घंटे।

 

4. अमर औषधि: उपचार की प्रकृति

 

दिल्ली के 24 वर्षीय ललित ने उपचार की मूलभूत प्रकृति पर ध्यान केंद्रित किया, विशेष रूप से मुख्य दवा अमर वटी पर। चार साल तक अग्नाशयी एंजाइमों (जैसे क्रीऑन 25000) पर निर्भर रहने के बाद, वह हैरान थे कि उन्हें उनके बिना पड़ाव में अच्छा महसूस हो रहा था।

 

अमर औषधि की मूलभूत प्रकृति क्या है?

 

  • एंजाइम नहीं: अमर वटी एंजाइम प्रतिस्थापन नहीं है। यह एक अग्नाशयशोथ-संरक्षक खनिज परिसर है।
  • प्राचीन रसायन: दवा में पारंपरिक रूप से जहरीले पदार्थ जैसे पारा, गंधक और तांबा (ताम्बा, पारा, गंधक) शामिल हैं। वैद्य प्रकाश ने समझाया कि प्राचीन रस शास्त्र (भारतीय रसायन विज्ञान) ने इन विषाक्त धातुओं को जीवन रक्षक खनिज परिसरों में बदलने की तकनीक विकसित की थी, ठीक वैसे ही जैसे सोडियम और क्लोरीन, जो व्यक्तिगत रूप से जहरीले होते हैं, मिलकर जीवन रक्षक सोडियम क्लोराइड बनाते हैं।
  • समग्र पुनर्स्थापना: इलाज पूरा प्रोटोकॉल है—आहार, आराम, और सहायक वातावरण—जो शरीर के पूरे चयापचय को पुनर्स्थापित करता है। अमर इस प्रोटोकॉल का एक शक्तिशाली हिस्सा है, जो आपातकालीन हमलों और अस्पताल में भर्ती होने को काफी कम करता है, लेकिन यह एक पूर्ण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में काम करता है।

वैद्य प्रकाश ने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि उनके पिता से प्रेरित उनका काम निराशा को आशा से बदलना है: “भयमति इति भेषजा” चिकित्सक का सच्चा काम डर को दूर करना है।

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Where is Padaav Ayurveda located?


Padaav Ayurveda is based in Uttarakhand, with its main hospital located on the outskirts of Rudrapur. In addition, it has clinics in Dehradun and Bengaluru, and its doctors offer monthly consultations in Delhi and Ahmedabad.

What treatments are offered at Padaav Ayurveda?


Padaav Ayurveda offers evidence-based treatments for conditions like:
– Chronic migraines
– Pancreatitis
– Allergic rhinitis
– Childhood Asthma
– PCOS
– GERD
– Chronic Fatigue syndromes
– Certain forms of cancer

How does Padaav Ayurveda approach chronic conditions like migraines?


Padaav Ayurveda treats migraines holistically by addressing root causes through:
– Herbal remedies to reduce inflammation
– Panchakarma therapies like Shirodhara
– Dietary and lifestyle modifications to balance doshas
– Stress management techniques, including pranayam and meditation

Are the treatments at Padaav Ayurveda personalized?


Yes, all treatments at Padaav Ayurveda are personalized. Each patient undergoes a detailed consultation to understand their condition, constitution, and specific needs, ensuring tailored treatment plans.