युवाओं में अग्नाशयशोथ (Pancreatitis) क्यों बढ़ रहा है? आधुनिक जीवनशैली का संकट

पद्म श्री वैद्य बालेंदु प्रकाश, 40 वर्षों से अधिक के अनुभव और भारत के पूर्व राष्ट्रपति के चिकित्सक, एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संकट पर प्रकाश डालते हैं: युवा भारतीयों में अग्नाशयशोथ की तेजी से बढ़ती घटनाएँ।

पड़ाव आयुर्वेद में आए रोगियों जिनमें से कई 30 वर्ष से कम आयु के हैं के साथ बातचीत के दौरान, वैद्य बालेंदु प्रकाश ने स्थापित किया कि क्लिनिकल अवलोकन (नैदानिक अनुभव) अक्सर किताबों से अधिक बोलता है।

 

93% सच्चाई: आपकी जीवनशैली ही मूल कारण है

 

पड़ाव के नैदानिक अनुभव से प्राप्त सबसे गहरा निष्कर्ष युवा पुरुष रोगियों से संबंधित एक शक्तिशाली आँकड़ा है:

वैद्य बालेंदु प्रकाश का खुलासा: “93% युवा पुरुष जो यहाँ इलाज के लिए आते हैं, उनमें ठीक वही जीवनशैली की विफलताएँ हैं: वे लगातार रात 12:00 बजे के बाद सोते हैं और वे नाश्ता छोड़ देते हैं।”

यह आधुनिक जीवन और बीमारी के बीच एक गैर-परक्राम्य संबंध है। जब शरीर के मौलिक, प्राकृतिक लय का उल्लंघन होता है, तो शरीर का सिस्टम टूट जाता है (“पगला जाता है”)।

 

“मेरी मर्ज़ी” का विज्ञान: जैविक घड़ी का उल्लंघन

 

पैंक्रियाटाइटिस का बढ़ता बोझ केवल अलग-थलग ट्रिगर्स के कारण नहीं है; यह शरीर की प्राकृतिक घड़ी, जिसे सर्केडियन रिदम कहा जाता है, का उल्लंघन करने का सीधा परिणाम है।

  • प्रकृति का उल्लंघन: प्रकृति की माँग है कि हम एक लय का पालन करें—कब सोना है, जागना है, खाना है और पीना है। आज के युवा अक्सर “मेरी मर्ज़ी” कहकर शरीर की माँगों को अनदेखा करते हैं।
  • रात्रि जागरण (Ratri Jagaran) की कीमत: देर रात तक जागते रहना, जो अक्सर स्क्रीन टाइम (सोशल मीडिया रीलों) से प्रेरित होता है, शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस हार्मोन को बड़े पैमाने पर बढ़ाता है। यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस सीधे यकृत (Liver) और अग्नाशय (Pancreas) जैसे महत्वपूर्ण अंगों में सूजन का कारण बनता है।
  • मेलाटोनिन की हानि: देर तक जागते रहने से, शरीर मेलाटोनिन नामक हार्मोन से वंचित हो जाता है, जो सामान्य रूप से तनाव और सूजन का मुकाबला करता है। परिणाम यह होता है कि सिस्टम लगातार हमले की चपेट में रहता है।
  • नाश्ता छोड़ना: सुबह का महत्वपूर्ण भोजन (नाश्ता) छोड़ना शरीर की चयापचय (metabolic) प्रक्रियाओं पर और अधिक तनाव डालता है, पूरे सिस्टम को अस्थिर करता है और पुरानी बीमारी की प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है।

 

पैंक्रियाटाइटिस केवल दर्द नहीं, प्रगति है

 

रोगी अक्सर मानते हैं कि अगर असहनीय दर्द नहीं है तो वे ठीक हैं। वैद्य बालेंदु प्रकाश इस आम गलत धारणा को दूर करते हैं:

दर्द ही पैंक्रियाटाइटिस का एकमात्र संकेत नहीं है; बीमारी की प्रगति ही बीमारी है।

जिन रोगियों को बार-बार तेज हमले होते हैं, उनके लिए लक्ष्य दर्द को रोकना है। लेकिन जिन लोगों को दर्द नहीं होता है, लेकिन पाचन संबंधी समस्याएँ और अपर्याप्त अग्नाशयी कार्य (जैसे एक्सोक्राइन डेफिशिएंसी) है, उनके लिए भी बीमारी सक्रिय रूप से बढ़ रही है, जिससे पुरानी जटिलताएँ पैदा होती हैं।

एंजाइम और संक्रमण के बीच का संबंध: जब गंभीर, तीव्र दर्द होता है, तो पाचन एंजाइम (एमाइलेज और लाइपेज) बढ़ जाते हैं। एंजाइमों में यह उछाल अनियंत्रित सूजन और ऑटोडाजेशन का संकेत है, न कि किसी जीवाणु संक्रमण का।

 

आरोग्य का मार्ग: सादगी और अनुशासन

 

ठीक होना, स्थिरता लाना और आगे की प्रगति को रोकना संभव है, लेकिन इसके लिए जीवनशैली में एक पूर्ण (“अमूल चूल”) बदलाव की आवश्यकता होती है।

  • स्थिर कार्य बनाए रखना: जिन रोगियों को पहले ही तीव्र हमला हो चुका है, उनके लिए ध्यान उपचार से हटकर रखरखाव (maintenance) पर केंद्रित हो जाता है। यदि शरीर के साथ लगातार सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाता है, तो अग्नाशय को अक्सर जीवन भर स्थिर रखा जा सकता है।
  • पड़ाव का नुस्खा: निर्देश सरल और गैर-परक्राम्य हैं:
    • समय पर सोएँ।
    • समय पर भोजन करें।
    • मौसम का भोजन सही मात्रा में करें।
  • पुरानी प्रगति वास्तविक है: पैंक्रियाटाइटिस एक प्रगतिशील बीमारी है जो अपने आप नहीं रुकती। यदि रोगी अनुशासनहीन रहता है (देर से सोना, भोजन छोड़ना जारी रखता है), तो बीमारी वापस आ जाएगी, और इसके परिणाम घातक हो सकते हैं।

शरीर के सामान्य चयापचय यानी प्राकृतिक घड़ी को बहाल करके, पड़ाव में आयुर्वेदिक उपचार न केवल लक्षणों का इलाज करता है, बल्कि जीवनशैली के कारण को भी संबोधित करता है, जिससे पाचन तंत्र और अग्नाशय फिर से सामान्य रूप से कार्य कर सकें।

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Where is Padaav Ayurveda located?


Padaav Ayurveda is based in Uttarakhand, with its main hospital located on the outskirts of Rudrapur. In addition, it has clinics in Dehradun and Bengaluru, and its doctors offer monthly consultations in Delhi and Ahmedabad.

What treatments are offered at Padaav Ayurveda?


Padaav Ayurveda offers evidence-based treatments for conditions like:
– Chronic migraines
– Pancreatitis
– Allergic rhinitis
– Childhood Asthma
– PCOS
– GERD
– Chronic Fatigue syndromes
– Certain forms of cancer

How does Padaav Ayurveda approach chronic conditions like migraines?


Padaav Ayurveda treats migraines holistically by addressing root causes through:
– Herbal remedies to reduce inflammation
– Panchakarma therapies like Shirodhara
– Dietary and lifestyle modifications to balance doshas
– Stress management techniques, including pranayam and meditation

Are the treatments at Padaav Ayurveda personalized?


Yes, all treatments at Padaav Ayurveda are personalized. Each patient undergoes a detailed consultation to understand their condition, constitution, and specific needs, ensuring tailored treatment plans.