अग्नाशयशोथ: प्रगति और जीवनशैली की कठोर सच्चाई

वैद्य बालेंदु प्रकाश से क्रोनिक रोग प्रबंधन पर अंतर्दृष्टि

वैद्य बालेंदु प्रकाश अग्नाशयशोथ के रोगियों की दो प्रमुख चिंताओं को संबोधित करते हैं: दवा के बावजूद रोग की प्रगति का डर, और विशेष आयुर्वेदिक दवा ‘अमर’ की सुरक्षा। मुख्य संदेश यह है कि दवा रोग को स्थिर कर सकती है, लेकिन रोगी की जीवनशैली ही परिणाम निर्धारित करती है।

भाग 1: स्वतः ठीक होने का मिथक और रोग की प्रगति

 

अनिल चार (27) ने अपनी पुरानी स्थिति का वर्णन किया: 2017 से 2023 के बीच बार-बार तीव्र दौरे पड़ना, जिसके बाद 2024 में कैल्सीफिकेशन (संरचनात्मक क्षति) का पता चलने के बाद लगातार दर्द बना रहा।

रोग स्थायी क्यों हो जाता है:

 

वैद्य प्रकाश ने कैम्ब्रिज वर्गीकरण का उपयोग करते हुए तीव्र (Acute) और क्रोनिक (Chronic) अग्नाशयशोथ के बीच अंतर समझाया:

  • तीव्र (Acute): इसमें केवल सूजन शामिल होती है, जो प्रतिवर्ती (reversible) होती है।

  • क्रोनिक (Chronic): इसमें अग्नाशय में संरचनात्मक परिवर्तन (जैसे कैल्सीफिकेशन/निशान) शामिल होते हैं, जो प्रतिवर्ती नहीं होते हैं और दीर्घकालिक समस्याओं को जन्म देते हैं।

चूंकि अनिल का मामला क्रोनिक हो चुका था, इसलिए सामान्य प्रतिवर्तन अब संभव नहीं है। इसके बजाय, लक्ष्य है स्थिरता लाना:

“दर्द भले ही बंद हो जाए, लेकिन केवल दर्द बंद हो जाने को अग्नाशयशोथ से ठीक होना नहीं माना जाता है।”

दवा प्रभावकारिता मानक:

 

वैद्य प्रकाश बताते हैं कि नैदानिक सफलता के लिए निरंतरता आवश्यक है। उनके डेटा से पता चलता है कि ‘अमर’ दवा लेने वाले 98% रोगियों में रोग की प्रगति रुक जाती है। यह 98% सफलता दर दवा की प्रभावशीलता का माप है, जो रोगी को बिगड़ने या अग्नाशय के कैंसर विकसित होने से रोकती है।

भाग 2: अमर औषधि की सुरक्षा की सच्चाई (मुक्त धातु)

 

एक रोगी, प्रभात कुमार, ने पारंपरिक डॉक्टरों द्वारा व्यक्त की गई एक आम चिंता उठाई: यह चिंता कि ‘अमर’ दवा, जो धातु-आधारित फॉर्मूलेशन है, में “मुक्त धातु (free metals)” होते हैं जो शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

  • वैज्ञानिक खंडन: वैद्य प्रकाश ने इस बात का दृढ़ता से खंडन किया, यह कहते हुए कि यह चिंता सीमित ज्ञान और रस शास्त्र (आयुर्वेदिक रसायन विज्ञान) की गलतफहमी पर आधारित है। उन्होंने जोर दिया कि उनकी दवा का कड़ाई से अध्ययन किया गया है, जिसके पास भारत सरकार से पेटेंट है, और शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं।

  • रूपांतरण: दवा की प्रभावकारिता जहरीली धातुओं को गैर-विषाक्त, जीवन रक्षक खनिज परिसरों में बदलने की प्रक्रिया में निहित है। उन्होंने सोडियम (एक धातु) और क्लोरीन (एक जहरीली गैस) का उदाहरण दिया, जो मिलकर गैर-विषाक्त सोडियम क्लोराइड (नमक) बनाते हैं, जो जीवन के लिए आवश्यक है। दवा में कोई हानिकारक “मुक्त धातु” नहीं होती।

भाग 3: सबसे बड़ा दुश्मन: जीवनशैली (रात्रि जागरण)

 

वैद्य प्रकाश ने अग्नाशयशोथ के बढ़ने को सीधे तौर पर आधुनिक समाज में एक महत्वपूर्ण जीवनशैली बदलाव से जोड़ा: सर्केडियन लय (Circadian Rhythm) को बाधित करना।

  • कारण: उन्होंने बताया कि उनके 93% अग्नाशयशोथ रोगी वे हैं जो रात को 12:00 बजे के बाद सोते हैं (रात्रि जागरण में संलग्न होते हैं)। यह बिजली और मोबाइल फोन जैसी आधुनिक सुविधाओं का परिणाम है, जिसने प्राकृतिक संकेतों को समाप्त कर दिया है जो एक समय लोगों को जल्दी सोने के लिए प्रेरित करते थे।

  • परिणाम: देर से सोना शरीर को आवश्यक आराम और उपचार से वंचित करता है। समय पर नींद की इस पुरानी कमी से शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव काफी बढ़ जाता है, जिससे यकृत (Liver) और अग्नाशय (Pancreas) में लगातार सूजन आती है।

  • परीक्षण: उन्होंने रोगियों को चेतावनी दी कि यदि वे देर रात की आदतों पर लौटते हैं, तो वे कुछ ही महीनों में पुनरावृत्ति (relapse) का शिकार हो जाएंगे। अनुशासन ही इलाज है।

भाग 4: निदान और प्रबंधन संबंधी अंतर्दृष्टि

 

  • मौन क्षति (Silent Damage): कई रोगी, विशेष रूप से वे जिनका फेकल इलास्टेस 200 से कम है (एंजाइम की कमी का संकेत), दर्दनाक दौरे पड़ना बंद कर देते हैं क्योंकि अग्नाशय अब सूजन प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत अधिक क्षतिग्रस्त हो चुका है। बीमारी चुपचाप जारी रहती है, जिससे बाद में कैंसर जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

  • वजन घटना और अन्य लक्षण: लगातार वजन घटना, दस्त, या निरंतर बेचैनी चल रहे कुअवशोषण और सूजन (गैस्ट्राइटिस, कोलाइटिस) के संकेत हैं जिन्हें संबोधित किया जाना चाहिए, भले ही गंभीर तीव्र दर्द बंद हो गया हो।

  • लक्ष्य: उपचार का उद्देश्य केवल बीमारी को ठीक करना नहीं है, बल्कि रोगी को एक स्थिर जीवन देना है। वैद्य प्रकाश कहते हैं, “जो होना था, वह हो चुका है। जो घर में मर गया सो मर गया। मैं सुनिश्चित करूँगा कि अब कोई न मरे… वे अपनी प्राकृतिक उम्र में मरेंगे।

Latest Blogs

पैंक्रियाटाइटिस: समझ और प्रबंधन के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण

Pancreatitis

पैंक्रियाटाइटिस: समझ और प्रबंधन के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण

पैंक्रियाटाइटिस, अग्न्याशय (pancreas) की एक बीमारी है, जिसके बारे में अक्सर लोगों को तब तक पता नहीं चलता जब तक वे या उनका कोई करीबी इसकी पीड़ा का अनुभव नहीं…

अग्नाशयशोथ की कठोर सच्चाई: दर्द, डर और ठीक होने की प्रक्रिया पर एक खुली बातचीत

Pancreatitis

अग्नाशयशोथ की कठोर सच्चाई: दर्द, डर और ठीक होने की प्रक्रिया पर एक खुली बातचीत

अग्नाशयशोथ (Pancreatitis) का निदान अक्सर रोगियों को उत्तरों से ज़्यादा सवाल देता है। यह एक जटिल स्थिति है जो चिकित्सा की कठिन भाषा और अनिश्चितता से घिरी है। इस अनूठी…

पैनक्रियाटाइटिस के मिथक बनाम भारतीय वास्तविकता: दोष शराब को क्यों नहीं देना चाहिए

Pancreatitis

पैनक्रियाटाइटिस के मिथक बनाम भारतीय वास्तविकता: दोष शराब को क्यों नहीं देना चाहिए

वैद्य के अनुभव और शोध पर आधारित एक गहन विश्लेषण पैंक्रियाटाइटिस (अग्न्याशय शोथ) एक जटिल और अक्सर गलत समझा जाने वाला रोग है। पश्चिमी अध्ययनों के प्रभाव के कारण, इसे…

रोगी से परे: उपचार यात्रा का गुमनाम नायक

Pancreatitis

रोगी से परे: उपचार यात्रा का गुमनाम नायक

पड़ाव, एक अद्वितीय आयुर्वेदिक उपचार केंद्र, में हाल ही में हुई एक खुली चर्चा में, वैद्य बालेंदु प्रकाश ने अपने चिकित्सा दर्शन के एक मूलभूत सिद्धांत का खुलासा किया: परिचारक…

आयुर्वेद की छिपी शक्ति का अनावरण: इम्यून मॉडुलन का विज्ञान

General

आयुर्वेद की छिपी शक्ति का अनावरण: इम्यून मॉडुलन का विज्ञान

वैद्य बालेंदु प्रकाश का तर्क है कि आयुर्वेद में इम्यून मॉडुलन (Immune Modulation) का एक गहरा, छिपा हुआ विज्ञान है जो आज अत्यधिक प्रासंगिक है, खासकर कोरोनावायरस जैसी चुनौतियों के…

अग्नाशयशोथ (Pancreatitis) को समझना: वैद्य शिखा प्रकाश द्वारा विशेषज्ञ अंतर्दृष्टि

Pancreatitis

अग्नाशयशोथ (Pancreatitis) को समझना: वैद्य शिखा प्रकाश द्वारा विशेषज्ञ अंतर्दृष्टि

पड़ाव आयुर्वेद में, हमारा मानना है कि स्वास्थ्य के लिए एक गहन दृष्टिकोण अपनाना चाहिए – एक ऐसा जो लक्षणों के उपचार से परे जाकर कल्याण के मूल सार को…

Where is Padaav Ayurveda located?


Padaav Ayurveda is based in Uttarakhand, with its main hospital located on the outskirts of Rudrapur. In addition, it has clinics in Dehradun and Bengaluru, and its doctors offer monthly consultations in Delhi and Ahmedabad.

What treatments are offered at Padaav Ayurveda?


Padaav Ayurveda offers evidence-based treatments for conditions like:
– Chronic migraines
– Pancreatitis
– Allergic rhinitis
– Childhood Asthma
– PCOS
– GERD
– Chronic Fatigue syndromes
– Certain forms of cancer

How does Padaav Ayurveda approach chronic conditions like migraines?


Padaav Ayurveda treats migraines holistically by addressing root causes through:
– Herbal remedies to reduce inflammation
– Panchakarma therapies like Shirodhara
– Dietary and lifestyle modifications to balance doshas
– Stress management techniques, including pranayam and meditation

Are the treatments at Padaav Ayurveda personalized?


Yes, all treatments at Padaav Ayurveda are personalized. Each patient undergoes a detailed consultation to understand their condition, constitution, and specific needs, ensuring tailored treatment plans.