खोज का सफ़र: कैसे पड़ाव आयुर्वेद पैंक्रियाटाइटिस के इलाज के लिए एक नया वैज्ञानिक आधार बना रहा है

प्रसिद्ध वैद्य पद्मश्री वैद्य बालेंदु प्रकाश का जीवन-सफ़र, पारंपरिक चिकित्सा को आगे बढ़ाने के लिए अनुसंधान (रिसर्च), डेटा और वैज्ञानिक प्रमाणों की आवश्यकता को दर्शाता है। पैंक्रियाटाइटिस जैसी जटिल, “लाचार” बीमारियों पर उनका काम एक सरल, लेकिन गहरे सवाल से प्रेरित रहा है: यह क्यों हो रहा है, और हम अपने परिणामों को कैसे साबित कर सकते हैं?

 

एक शोधकर्ता का जन्म: मेंडल से मार्गदर्शन तक

 

वैद्य बालेंदु प्रकाश की वैज्ञानिक दस्तावेज़ीकरण में रुचि अप्रत्याशित रूप से, आनुवंशिकी (genetics) के जनक ग्रेगर मेंडल के काम से आई। जहाँ आयुर्वेद पारंपरिक रूप से प्राचीन ग्रंथों पर निर्भर करता है, वहीं वैद्य प्रकाश ने अवलोकन और डेटा तैयार करने की शक्ति को पहचाना।

  • डेटा की शुरुआत: पारंपरिक, विश्वास-आधारित दृष्टिकोण के विपरीत, वैद्य प्रकाश ने अपने पिता के चिकित्सा अभ्यास के रिकॉर्ड को दर्ज करना शुरू कर दिया। उन्होंने देखा कि कुछ बीमारियों के लिए मरीज ठीक हो रहे थे, लेकिन यह डेटा कहीं रिकॉर्ड नहीं हो रहा था।
  • गुरु मेंडल: उन्होंने मेंडल को अपना आदर्श गुरु मानते हुए, अपनी पड़ाव आयुर्वेद की प्रैक्टिस के रिकॉर्ड को बारीकी से संग्रहीत (archive) करना शुरू कर दिया।
  • नतीजा: डेटा का खजाना: जनवरी 1997 से पैंक्रियाटाइटिस के मामलों को ट्रैक करना शुरू किया। आज, अगस्त 2025 में, पड़ाव आयुर्वेद के पास 2,300 से अधिक पैंक्रियाटाइटिस रोगियों का डेटा है, जो उनके शोध का आधार बन चुका है।

वैद्य प्रकाश कहते हैं कि केवल डेटा एकत्र करना ही अपने आप में अनुसंधान है। इस डेटा को सारणीबद्ध (tabulate) करना और उसका विश्लेषण (analysis) करना ही आगे बढ़ने का रास्ता है, जो आयुर्वेद को पैंक्रियाटाइटिस जैसी बीमारियों के इलाज के लिए विश्व मंच पर स्थापित कर रहा है।

 

नैदानिक सफलता: रोगी डेटा की शक्ति

 

पड़ाव आयुर्वेद में एकत्र किए गए डेटा ने पैंक्रियाटाइटिस के प्रबंधन में प्रभावशाली, सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण परिणाम दिए हैं:

परिणाम पैरामीटर कमी की दर महत्व
आपातकालीन दौरे (Emergency Attacks) 92% जानलेवा घटनाओं में भारी कमी।
अस्पताल में भर्ती (Hospitalizations) 95% मरीजों पर आर्थिक और शारीरिक बोझ में महत्वपूर्ण कमी।

वैद्य प्रकाश का कहना है कि ये आँकड़े उनकी सबसे मूल्यवान “धरोहर” हैं, जो उनके अनुसंधान-आधारित दृष्टिकोण की प्रभावशीलता को साबित करते हैं और हजारों पीड़ित लोगों को आशा देते हैं।

 

वैज्ञानिक सत्यापन की खोज

 

वैद्य प्रकाश का सफर अपने आयुर्वेदिक फ़ार्मूलेशन को कठोर आधुनिक वैज्ञानिक जाँच के तहत लाने के अथक प्रयासों से भरा रहा है।

  • ब्लड कैंसर पायलट: रक्त कैंसर पर एक प्रारंभिक, केंद्रित अवलोकन में पाया गया कि विशिष्ट प्रकार के रोगी चाँदी-आधारित आयुर्वेदिक दवा से ठीक हो रहे थे। 14 साल की दृढ़ता के बाद, उन्होंने एक पायलट अध्ययन पूरा किया जिसमें 11 में से 11 रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया गया।
  • अनुसंधान का नारा (2014): 2012 तक नैदानिक अभ्यास छोड़ देने के बाद, प्रधानमंत्री का 2014 का नारा, “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, और जय अनुसंधान,” उनके संकल्प को फिर से जगा गया।
  • पैंक्रियाटाइटिस सम्मेलन (2014): उन्होंने एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें उन्होंने AIIMS और ICMR के विशेषज्ञों को अपने केस स्टडीज़ दिखाए। इससे उत्तराखंड सरकार ने तांबे पर आधारित दवा को ‘न्यू क्लीनिकल एंटिटी’ के रूप में विकसित करने के लिए अनुसंधान परियोजना को मंजूरी दी।
  • नैनो टेक्नोलॉजी की खोज: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के साथ काम करते हुए, उन्होंने एक ज़बरदस्त खोज की: तांबे, पारे और गंधक से बनी पारंपरिक आयुर्वेदिक फ़ार्मूलेशन में अंतिम रूप में कोई पता लगाने योग्य धातु नहीं थी। धातुएँ नैनोकणों (nanoparticles) या खनिजों में बदल गई थीं।

 

आगे का रास्ता: आयुर्वेद को मुख्यधारा विज्ञान के रूप में स्थापित करना

 

पड़ाव आयुर्वेद में वर्तमान काम अगले महत्वपूर्ण कदम पर केंद्रित है: प्रभावकारिता का प्रमाण (Proof of Efficacy)

  • रैंडमाइज़्ड कंट्रोल्ड ट्रायल (RCT): वैद्य प्रकाश वर्तमान में एक बड़े दक्षिण भारतीय अस्पताल के सहयोग से एक नैतिक, रैंडमाइज़्ड कंट्रोल्ड ट्रायल स्थापित करने पर काम कर रहे हैं। इसका उद्देश्य आयुर्वेदिक समूह और एलोपैथिक समूह की तुलना करके वैज्ञानिक रूप से आयुर्वेदिक दृष्टिकोण की श्रेष्ठता को साबित करना है।
  • प्रतिभाओं को आकर्षित करना: अंतिम प्रेरणा व्यक्तिगत पुरस्कार नहीं, बल्कि आयुर्वेद की स्थिति को ऊपर उठाना है। वह आशा करते हैं कि वैज्ञानिक सफलता का एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करके—एक ऐसी बीमारी को ठीक करके जिसे दुनिया लाइलाज मानती है—वह इस क्षेत्र में “प्रतिभाशाली दिमागों” को आकर्षित करेंगे, जिससे आगे वैज्ञानिक खोज होगी और मानवता को लाभ मिलेगा।
  • आयुर्वेद के न्यूटन: जिस प्रकार आइजैक न्यूटन ने एक गिरते हुए सेब को देखकर गुरुत्वाकर्षण के नियम विकसित किए, उसी प्रकार वैद्य प्रकाश का शोध भी उनके पिता के अभ्यास में जो हो रहा था, उसे देखकर आया। वह अपने फ़ार्मूलेशन के पीछे के विज्ञान को उजागर करने और दुनिया के लिए एक नई नैदानिक इकाई (new clinical entity) स्थापित करने के लिए यूपीईएस देहरादून जैसे संस्थानों के साथ काम करते हुए, अवलोकन-आधारित जांच की इस प्रक्रिया को जारी रखे हुए हैं।

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Where is Padaav Ayurveda located?


Padaav Ayurveda is based in Uttarakhand, with its main hospital located on the outskirts of Rudrapur. In addition, it has clinics in Dehradun and Bengaluru, and its doctors offer monthly consultations in Delhi and Ahmedabad.

What treatments are offered at Padaav Ayurveda?


Padaav Ayurveda offers evidence-based treatments for conditions like:
– Chronic migraines
– Pancreatitis
– Allergic rhinitis
– Childhood Asthma
– PCOS
– GERD
– Chronic Fatigue syndromes
– Certain forms of cancer

How does Padaav Ayurveda approach chronic conditions like migraines?


Padaav Ayurveda treats migraines holistically by addressing root causes through:
– Herbal remedies to reduce inflammation
– Panchakarma therapies like Shirodhara
– Dietary and lifestyle modifications to balance doshas
– Stress management techniques, including pranayam and meditation

Are the treatments at Padaav Ayurveda personalized?


Yes, all treatments at Padaav Ayurveda are personalized. Each patient undergoes a detailed consultation to understand their condition, constitution, and specific needs, ensuring tailored treatment plans.