एक वैद्य की निजी यात्रा: फैटी लिवर रोग को समझना और ठीक करना

नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (NAFLD), जिसे अब मेटाबॉलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टीएटोटिक लिवर डिजीज (MASLD) कहा जाता है, एक ऐसी बीमारी है जो तेजी से बढ़ रही है। इसे अक्सर मोटापे या शराब के सेवन का परिणाम माना जाता है, पर अब यह 9 साल के बच्चों में भी दिख रही है। 48 साल के नैदानिक अनुभव वाले चिकित्सक वैद्य बालेंदु प्रकाश, जो खुद इस बीमारी से जूझ चुके हैं, इसके कारणों, इससे जुड़े मिथकों और इसे पूरी तरह ठीक करने के तरीकों पर अपनी राय दे रहे हैं।

 

आधुनिक महामारी: यह जीवनशैली की बीमारी है, सिर्फ़ खान-पान की नहीं

 

वैद्य प्रकाश इस धारणा को गलत मानते हैं कि फैटी लिवर सिर्फ गलत खान-पान की वजह से होता है। खाना स्वास्थ्य का एक अहम हिस्सा ज़रूर है, लेकिन आयुर्वेद के मुताबिक़ स्वास्थ्य के तीन स्तंभ हैं: खान-पान, जीवनशैली और दवाएँ

उनका कहना है कि असली कारण अक्सर अनदेखे रह जाते हैं। अग्नाशयशोथ (pancreatitis) के 2050 से ज़्यादा मरीजों पर किए गए उनके शोध से एक चौंकाने वाली बात सामने आई: उनमें से 93% लोग देर से सोते थे। एक सही सर्कैडियन रिदम यानी सही समय पर सोने और जागने की आदत न होने से शरीर के मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी आती है, जिसका सीधा असर लिवर पर पड़ता है। आज के बच्चे भी देर रात तक स्क्रीन पर लगे रहते हैं, जिससे उनकी नींद खराब होती है और वे इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं।

वह इस मिथक को भी गलत साबित करते हैं कि यह बीमारी सिर्फ मोटे लोगों को होती है। उनका मानना है कि “भूखे रहना” भी इसका एक बड़ा कारण है, जिसका मतलब है भोजन के बीच लंबा अंतराल रखना। उनके डेटा के मुताबिक़, अग्नाशयशोथ के 53% मरीज नाश्ता छोड़ देते थे। वह समझाते हैं कि शरीर को नियमित अंतराल पर ऊर्जा चाहिए होती है; उसे वंचित रखने से मेटाबॉलिक तनाव होता है। इसीलिए वह कुछ खास शारीरिक बनावट वाले लोगों को इंटरमिटेंट फास्टिंग जैसी चीजें न करने की सलाह देते हैं और इसके बजाय तीन वक्त का भोजन और दो छोटे नाश्ते लेने की अनुशासित दिनचर्या अपनाने को कहते हैं।

 

फैटी लिवर से जुड़े आम मिथकों को दूर करना

 

वैद्य प्रकाश फैटी लिवर से जुड़ी कई गलत धारणाओं पर भी बात करते हैं और अपनी ज़िंदगी और क्लीनिकल अभ्यास से मिली जानकारी साझा करते हैं।

  • मिथक: सभी फैटी लिवर रोग लिवर सिरोसिस में बदल जाते हैं। वह कहते हैं कि यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है, बशर्ते इसे अनुशासन और सही उपचार से ठीक किया जाए।
  • मिथक: लिवर क्लींजिंग ही इसका उपाय है। वह “लिवर क्लींजिंग” जैसे प्रोग्राम को नकारते हुए कहते हैं कि स्वास्थ्य का कोई शॉर्टकट नहीं होता। इसे ठीक करने का एकमात्र रास्ता अनुशासित आदतों को अपनाना है।
  • मिथक: शून्य-वसा (zero-fat) वाला आहार सबसे अच्छा है। वह आहार से वसा को पूरी तरह से हटाने के खिलाफ़ चेतावनी देते हैं। शरीर के लिए हर दिन 30 मिलीलीटर तक स्वस्थ वसा ज़रूरी है, ताकि विटामिन (ए, डी, ई, के) का अवशोषण हो सके। वह मजाक में भगवान कृष्ण का उदाहरण देते हैं, जो बड़ी मात्रा में मक्खन खाते थे, यह समझाने के लिए कि वसा खुद दुश्मन नहीं है; खराब जीवनशैली है।
  • मिथक: हर तरह का व्यायाम अच्छा होता है। वह अपने खुद के अनुभव से बताते हैं कि लिवर बड़ा होने पर दौड़ने जैसे तेज़ व्यायाम सूजन बढ़ा सकते हैं। वह चलने या तैराकी जैसी धीमी और आरामदायक गतिविधियों की सलाह देते हैं, जिनसे शरीर पर अनावश्यक तनाव न पड़े।
  • मिथक: घरेलू नुस्खे तुरंत राहत देते हैं। वह बताते हैं कि एलोवेरा और गाय के मूत्र जैसे घरेलू नुस्खों से उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ। वह इस बात पर ज़ोर देते हैं कि दवाएं सुनी-सुनाई बातों पर नहीं, बल्कि शोध और प्रमाणित प्रभाव पर आधारित होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, वह बताते हैं कि आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, गिलोय को ताज़ा ही खाना चाहिए, उसके सूखे रूप में नहीं।

 

निदान और उपचार के लिए एक समग्र दृष्टिकोण

 

वैद्य प्रकाश का स्वास्थ्य के प्रति दृष्टिकोण पारंपरिक तरीकों से परे है। उनका मानना है कि निदान केवल रक्त परीक्षण और इमेजिंग पर आधारित नहीं होना चाहिए। वह एक क्लीनिकल तरीका, जिसे “पंच टेस्ट” कहते हैं, अपनाते हैं। इसमें वह मरीज की दाहिनी पसली पर हल्का दबाव डालते हैं। अगर दर्द होता है, तो यह फैटी लिवर का नैदानिक संकेत है, भले ही रक्त रिपोर्ट सामान्य हो।

उनका उपचार दर्शन खान-पान, जीवनशैली और दवाओं का मिश्रण है।

  • खान-पान: चूंकि पेट में कोई “मीटर” नहीं होता, उन्होंने मात्रा को नियंत्रित करने के लिए एक व्यावहारिक तरीका विकसित किया है। वह मरीजों को भोजन करने के बाद इंतजार करने की सलाह देते हैं। अगर उन्हें दो से ढाई घंटे बाद भूख लगती है, तो इसका मतलब है कि भोजन की मात्रा सही थी। अगर उन्हें जल्दी भूख लगती है, तो उन्हें अगली बार थोड़ा और खाना चाहिए, और अगर वे लंबे समय तक पेट भरा महसूस करते हैं, तो उन्हें कम खाना चाहिए। वह इस बात पर जोर देते हैं कि सिर्फ़ क्या खाना है, बल्कि कब और कैसे खाना है, यह भी मायने रखता है।
  • जीवनशैली: वह सच्चे स्वास्थ्य को एक खुशहाल मन, शरीर और आत्मा की स्थिति मानते हैं। तनाव, चिंता और उदासी का लिवर पर सीधा असर पड़ता है और इन्हें सही तरीके से मैनेज करना ज़रूरी है।
  • दवाएं: वैद्य एक खास आयुर्वेदिक दवा, PRAK- 20 का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हेपेटोप्रोटेक्टिव (लिवर को बचाने वाला) और एंटी-फाइब्रोटिक गुण हैं। वह खुद 1992 से इसका सेवन कर रहे हैं और मानते हैं कि इस तरह की वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित आयुर्वेदिक दवाएं इस बीमारी के इलाज में एक शक्तिशाली साधन हैं।

गलत जानकारी और तुरंत समाधान के इस दौर में, वैद्य प्रकाश का संदेश बहुत शक्तिशाली है: हमें अपना “गुरु” खुद बनना होगा। अपने खान-पान और जीवनशैली को नियंत्रित करके, हम न केवल फैटी लिवर रोग को रोक और ठीक कर सकते हैं, बल्कि अपने स्वास्थ्य और कल्याण को भी वापस पा सकते हैं।

Latest Blogs

अग्नाशयशोथ (Pancreatitis) के लिए एक समग्र दृष्टिकोण: रोगी, देखभाल करने वाले और बीमारी को समझना

Pancreatitis

अग्नाशयशोथ (Pancreatitis) के लिए एक समग्र दृष्टिकोण: रोगी, देखभाल करने वाले और बीमारी को समझना

अग्नाशयशोथ जैसी पुरानी बीमारी के साथ जीवन बिताना शारीरिक लक्षणों से कहीं अधिक जटिल है। यह रोगी की भावनात्मक स्थिति, उनके परिवार और उनकी पूरी जीवनशैली को प्रभावित करता है।…

चिकित्सा का चौथा स्तंभ: आयुर्वेद की परिचारक की महत्वपूर्ण भूमिका पर अंतर्दृष्टि

Pancreatitis

चिकित्सा का चौथा स्तंभ: आयुर्वेद की परिचारक की महत्वपूर्ण भूमिका पर अंतर्दृष्टि

पड़ाव आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र में हाल ही में हुई एक बातचीत में, वैद्य बालेंदु प्रकाश ने अपने चिकित्सा दर्शन के एक प्रमुख सिद्धांत पर प्रकाश डाला: परिचारक या देखभाल करने…

आयुर्वेद से पैंक्रियाटाइटिस के उपचार की अद्भुत यात्रा

Pancreatitis

आयुर्वेद से पैंक्रियाटाइटिस के उपचार की अद्भुत यात्रा

परंपरागत ज्ञान से आधुनिक समाधान तक मैं वैद्य बालेंदु प्रकाश, एक पारंपरिक आयुर्वेदिक परिवार में जन्मा। मैंने आयुर्वेदाचार्य (बीएएमएस) की शिक्षा प्राप्त की और आयुर्वेद के पारंपरिक तरीकों से दवाइयाँ…

NAFLD in Hindi: गैर-शराबी फैटी लिवर रोग : कारण, लक्षण, निदान और रोकथाम रणनीतियां

NAFLD

NAFLD in Hindi: गैर-शराबी फैटी लिवर रोग : कारण, लक्षण, निदान और रोकथाम रणनीतियां

परिचय लिवर, जो मानव शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग है, त्वचा के बाद, 200 से अधिक महत्वपूर्ण कार्य करता है, जिसमें मेटाबॉलिज्म, विषाक्त पदार्थों को निकालना और प्रोटीन का…

हमारे चुनाव का ज्ञान: आहार और स्वास्थ्य पर एक आयुर्वेदिक परिप्रेक्ष्य

General

हमारे चुनाव का ज्ञान: आहार और स्वास्थ्य पर एक आयुर्वेदिक परिप्रेक्ष्य

ऐसी दुनिया में जहाँ खान-पान के नए-नए तरीके आते और जाते रहते हैं, आयुर्वेद के कालातीत सिद्धांत कल्याण के लिए एक गहन और अटूट मार्गदर्शक के रूप में खड़े हैं।…

माइग्रेन को समझना: एक व्यापक मार्गदर्शिका

Migraine

माइग्रेन को समझना: एक व्यापक मार्गदर्शिका

माइग्रेन सिर्फ सिरदर्द नहीं है; यह एक गंभीर स्थिति है जो व्यक्तिगत, पेशेवर और सामाजिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। यह जीवन के लिए सीधे खतरा नहीं…

Where is Padaav Ayurveda located?


Padaav Ayurveda is based in Uttarakhand, with its main hospital located on the outskirts of Rudrapur. In addition, it has clinics in Dehradun and Bengaluru, and its doctors offer monthly consultations in Delhi and Ahmedabad.

What treatments are offered at Padaav Ayurveda?


Padaav Ayurveda offers evidence-based treatments for conditions like:
– Chronic migraines
– Pancreatitis
– Allergic rhinitis
– Childhood Asthma
– PCOS
– GERD
– Chronic Fatigue syndromes
– Certain forms of cancer

How does Padaav Ayurveda approach chronic conditions like migraines?


Padaav Ayurveda treats migraines holistically by addressing root causes through:
– Herbal remedies to reduce inflammation
– Panchakarma therapies like Shirodhara
– Dietary and lifestyle modifications to balance doshas
– Stress management techniques, including pranayam and meditation

Are the treatments at Padaav Ayurveda personalized?


Yes, all treatments at Padaav Ayurveda are personalized. Each patient undergoes a detailed consultation to understand their condition, constitution, and specific needs, ensuring tailored treatment plans.