एक मार्मिक और बेहद व्यक्तिगत बातचीत में, पद्म श्री वैद्य बालेंदु प्रकाश, जो अपने जीवन भर के अनुभव वाले एक चिकित्सक हैं, ने आयुर्वेद के साथ अपनी यात्रा साझा की। वह न केवल एक चिकित्सक बल्कि एक वैज्ञानिक, एक बेटे और सत्य के एक खोजी के रूप में बोलते हैं। उनका मिशन यह साबित करना है कि आयुर्वेद एक चमत्कार नहीं, बल्कि एक विज्ञान है, जिसे अपना सही स्थान वापस पाने के लिए कठोर शोध और सत्यापन की आवश्यकता है।
प्राचीन ज्ञान की विरासत और आधुनिक विरोधाभास
वैद्य प्रकाश अपनी कहानी की शुरुआत भारत के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास से करते हैं। वह आयुर्वेद को वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद) से जोड़ते हैं, जहाँ इसे उपवेद माना जाता है। वह ब्रह्मा, अश्विनी कुमार, और समुद्र मंथन जैसी पौराणिक कथाओं को याद करते हैं, इस बात पर जोर देते हुए कि यह ज्ञान पीढ़ियों से चली आ रही एक अनमोल विरासत है।
हालांकि, वह इस गौरवशाली अतीत से वर्तमान की ओर मुड़ते हुए एक विरोधाभास बताते हैं। वह कहते हैं, “इतिहास गूगल पर है, और भविष्य एआई पर है। लेकिन वर्तमान? वही दोनों को परिभाषित करता है।” वह मानते हैं कि आयुर्वेद का ज्ञान अनुभवों पर आधारित है, जिसे उन्होंने अपने पिता के अभ्यास में विज्ञान के रूप में देखा क्योंकि इसके परिणाम लगातार और दोहराए जाने योग्य थे।
‘अमर’ औषधि: वैज्ञानिक प्रमाण की खोज
वैद्य प्रकाश की यात्रा का केंद्र उनकी मुख्य औषधि ‘अमर’ है, जिसे उनके दिवंगत पिता ने बनाया था। यह फॉर्मूलेशन पारा, तांबा और गंधक जैसे जहरीले तत्वों को मिलाकर बनाया गया था, जिसने कई मरणासन्न रोगियों को ठीक किया।
1987 में, एक उच्च-पदस्थ सरकारी अधिकारी से मिलकर, उन्होंने अपनी निराशा व्यक्त की: “मैं जानता हूँ कि मैंने क्या मिलाया है और दवा काम करती है, लेकिन मुझे इसकी केमिस्ट्री, प्रभावी खुराक या उपचार की अवधि नहीं पता।” यह क्षण उनके मिशन को परिभाषित करता है: पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से प्रमाणित करना।
असफलताओं का पथ और अटूट संकल्प
वैज्ञानिक मान्यता प्राप्त करने के उनके प्रयास चुनौतियों से भरे रहे:
- उन्होंने अपने काम को खारिज करने वाले प्रोफेसरों के कारण आयुर्वेदिक एमडी कार्यक्रम छोड़ दिया।
- उन्होंने सरकारी संस्थानों के साथ ट्रायल शुरू किए, लेकिन नौकरशाही और पेशेवर ईर्ष्या के कारण उन्हें बाधित कर दिया गया।
- उन्हें कई विवादों और आरोपों का सामना करना पड़ा, जैसे कि एक मरीज के मूत्र में एक पदार्थ पाए जाने पर झूठा आरोप।
इन सबके बावजूद, उनका संकल्प मजबूत रहा। उन्होंने मल्टीपल स्क्लेरोसिस, क्रोनिक एनीमिया, और एलर्जिक राइनाइटिस जैसी बीमारियों पर सफल प्रोटोकॉल विकसित करके अपने काम को जारी रखा। उन्होंने साबित किया कि उनका आयरन-आधारित फॉर्मूलेशन पारंपरिक सप्लीमेंट्स से अधिक प्रभावी है।
अनुसंधान की जीत और ‘जय आविष्कार’ का आह्वान
उनके अथक प्रयासों का सबसे बड़ा प्रमाण 2014 में आया, जब उन्होंने देहरादून में एक कार्यक्रम में अपने ठीक हुए पैंक्रियाटाइटिस रोगियों (11 मरीजों) को सबूत के तौर पर पेश किया। इस वास्तविक प्रमाण (Real-world evidence) के बाद, उन्हें सरकारी अनुमोदन और फंड मिला।
वैद्य प्रकाश का मानना है कि राष्ट्र का नारा, “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान,” अधूरा है। वह एक नए आह्वान की बात करते हैं: “जय आविष्कार” (Hail Invention)।
कैंसर-मुक्त जीवन के पाँच स्तंभ
उनका सबसे शक्तिशाली संदेश यह है कि स्वस्थ जीवन हमारे नियंत्रण में है, जिसे पाँच स्तंभों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है:
- आहार: 40% जटिल कार्बोहाइड्रेट, 25-30% प्रोटीन और 15-20% स्वस्थ वसा वाला संतुलित आहार लें। परिष्कृत (refined) भोजन से बचें।
- व्यायाम: सप्ताह में तीन घंटे का मध्यम व्यायाम आवश्यक है। वह
अति-व्यायाम
(over-exertion) के प्रति चेतावनी देते हैं, जिसे वह शरीर के लिए एक तनाव मानते हैं। - नींद: 6 से 8 घंटे की गहरी नींद अनिवार्य है। यह वह समय है जब शरीर अपनी मरम्मत करता है।
- तनाव प्रबंधन: तनाव से लड़ने के लिए मन को शांत रखने का रवैया विकसित करें। वह तनाव प्रबंधन के लिए भगवद गीता के दर्शन पर जोर देते हैं – फल की चिंता किए बिना कर्म करें।
- उद्देश्य: जीवन में एक उद्देश्य और अर्थ की भावना होना मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है।
वैद्य प्रकाश अपनी बात को समाप्त करते हुए कहते हैं कि उनकी एकमात्र इच्छा यह है कि इस ज्ञान को दुनिया तक पहुँचाया जाए। वह अपने खुद के कई स्वास्थ्य संघर्षों को साझा करते हैं, यह कहते हुए कि उनका लचीलापन एक उद्देश्य से आता है। वह लोगों से एक अनुशासित जीवन जीने और शरीर का सम्मान करने का आग्रह करते हैं, क्योंकि इसके बिना, सब कुछ खो जाता है।