आयुर्वेद की छिपी शक्ति का अनावरण: इम्यून मॉडुलन का विज्ञान

वैद्य बालेंदु प्रकाश का तर्क है कि आयुर्वेद में इम्यून मॉडुलन (Immune Modulation) का एक गहरा, छिपा हुआ विज्ञान है जो आज अत्यधिक प्रासंगिक है, खासकर कोरोनावायरस जैसी चुनौतियों के बाद। उनका स्पष्ट संदेश है: वायरस मजबूत नहीं हुआ; हम कमजोर हुए। डार्विन के सिद्धांत (“Survival of the Fittest”) के अनुसार जीवित रहने के लिए, हमें आयुर्वेद के प्रलेखित ज्ञान का उपयोग करके अपनी आंतरिक रक्षा प्रणालियों को मजबूत करना होगा।

 

स्वास्थ्य का मूल दर्शन: शारीरिकता से परे

 

वैद्य प्रकाश आयुर्वेद के पहले सिद्धांत का विश्लेषण करते हुए शुरुआत करते हैं: “स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणम्” (स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना) और “आतुरस्य विकार प्रशमनञ्च” (बीमार का इलाज करना)।

  • स्वास्थ्य की समग्र परिभाषा: वह जोर देते हैं कि आयुर्वेद में स्वस्थ (Swastha) की परिभाषा आधुनिक शारीरिक स्वास्थ्य से कहीं अधिक है। यह न केवल दोषों (Vata, Pitta, Kapha) और धातुओं (ऊतकों) के संतुलन से परिभाषित होती है, बल्कि “प्रसन्न आत्मेंद्रियमनः” (संतुष्ट आत्मा, इंद्रियाँ, और मन) से भी होती है।
  • आध्यात्मिक रोग प्रतिरोधक क्षमता: आध्यात्मिक स्वास्थ्य प्रमुख है: इसका अर्थ है मतभेदों पर अक्रियाशील रहना। वह गुरु नानक देव का उदाहरण देते हैं, जिन्होंने अनुयायियों से अपने पैर उस दिशा में करने को कहा जहाँ ईश्वर हों, जो धार्मिक संघर्ष से परे मन की स्थिति को दर्शाता है।

यह समग्र परिभाषा सिद्ध करती है कि आयुर्वेद की नींव ही आंतरिक रूप से इम्यून मॉड्युलेटरी विज्ञान है।

 

व्यक्तिगत एवं वैज्ञानिक यात्रा: जुकाम से उपचार तक

 

वैद्य प्रकाश की आयुर्वेद को वैज्ञानिक रूप से सिद्ध करने की प्रतिबद्धता एक व्यक्तिगत संकट और पारिवारिक विरासत से उपजी।

 

गुरु: मेंडल का नियम

 

वह अपने पिता, वैद्य चंद्र प्रकाश, के कार्य से बहुत प्रभावित थे। उनके पिता जटिल बीमारियों वाले कई रोगियों को ठीक नहीं कर पाते थे, लेकिन कुछ विशिष्ट रोगों वाले रोगी लगातार ठीक होते थे। इससे उनकी वैज्ञानिक जिज्ञासा जागी, जो ग्रेगर मेंडल के आनुवंशिकी कार्य को दर्शाती है: जो काम कर रहा है उस पर ध्यान केंद्रित करना और सिद्ध करना कि वह क्यों काम करता है।

इस फोकस ने उन्हें अग्नाशयशोथ (Pancreatitis), एक इंफ्लेमेटरी विकार, के उपचार पर काम करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने एक ऐसा फॉर्मूलेशन विकसित किया जिसे पेटेंट मिला और जिसने मजबूत एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण दिखाए—जो प्रतिरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण मार्कर है।

 

व्यक्तिगत संकट: छह महीने का जुकाम

 

1997 में, वैद्य प्रकाश को छह महीने तक रहने वाला एक गंभीर, लगातार जुकाम हुआ। पारंपरिक आयुर्वेदिक दवाइयाँ, एलोपैथिक एंटीबायोटिक्स और होम्योपैथी भी विफल रहीं।

निराश होकर उन्होंने महसूस किया: “तुम कैंसर का इलाज करते हो, फिर भी तुम अपना जुकाम ठीक नहीं कर सकते।” उन्होंने अपनी स्थिति का निदान पित्त-कफ असंतुलन के रूप में किया। उन्होंने एक प्राचीन क्लासिकल फॉर्मूला, पुनर्नवा मंडूर (पारंपरिक रूप से लीवर के रोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता था), पाया और यह निष्कर्ष निकाला कि उनके असंतुलन का मुकाबला करने के लिए आवश्यक कड़वे और कसैले स्वाद कैप्सूल रूप में खो रहे थे।

  • प्रयोग: उन्होंने कैप्सूल खोला और चूर्ण को सीधे अपनी जीभ पर लिया।
  • परिणाम: तीन खुराक के भीतर, उन्हें 90% बेहतर महसूस हुआ। दस दिनों के भीतर, उनका छह महीने पुराना जुकाम पूरी तरह से ठीक हो गया।

 

वैज्ञानिक सफलता: इम्यून मार्कर स्टडी

 

इस “क्लासिकल फॉर्मूले के नए उपयोग” को वैज्ञानिक सत्यापन की आवश्यकता थी। ICMR के पूर्व अतिरिक्त निदेशकों सहित विशेषज्ञों के साथ काम करते हुए, उन्होंने एक इम्यून मॉड्युलेटरी स्टडी डिज़ाइन की।

परिणामों ने उनके अनुमान की पुष्टि की: फॉर्मूले ने 14 अलग-अलग इम्यून मार्करों में इम्यून एन्हेंसिंग प्रॉपर्टीज दिखाईं। बाद के रैंडमाइज्ड ट्रायल्स से पता चला कि यह आयुर्वेदिक दवा एलर्जिक राइनाइटिस जैसी स्थितियों के लिए मानक एलोपैथिक उपचारों की तुलना में चार गुना अधिक प्रभावी थी और इसके दुष्प्रभाव कम थे।

 

वैज्ञानिक पुनर्जागरण की आवश्यकता

 

वैद्य प्रकाश जोर देते हैं कि उनका फॉर्मूला केवल एक चमत्कार नहीं है; यह एक प्रमाण अवधारणा है।

  • आज की प्रासंगिकता: देहरादून जैसे स्थानों का अत्यधिक और अस्थिर मौसम कुछ लोगों को मजबूत एंटीबॉडी बनाने के लिए मजबूर करके लाभ पहुँचाता है, लेकिन दूसरों को कमजोर करता है, जिससे अस्थमा होता है। इसी तरह, कोरोनावायरस जैसे वैश्विक खतरों से बचने के लिए केवल बाहरी उपायों (जैसे टीकों) पर निर्भर रहने के बजाय एक मजबूत आंतरिक रक्षा की आवश्यकता है।
  • लक्ष्य: हम लगातार उधार लेकर (केवल टीकों या पश्चिमी चिकित्सा पर निर्भर रहकर) कभी भी वास्तव में “स्वस्थ और समृद्ध” नहीं बन सकते। हमें आयुर्वेद के अव्यक्त विज्ञान को—जो उसके मूलभूत ग्रंथों और परिभाषाओं में निहित है—आधुनिक, प्रलेखित दुनिया के सामने लाना होगा।

संगोष्ठी का उद्देश्य वैज्ञानिकों और चिकित्सकों को एक साथ लाना है ताकि इस छिपे हुए ज्ञान को वैज्ञानिक सत्यापन से जोड़ा जा सके, जिससे भ्रूण प्रमाण (embryonic evidence) बनाया जा सके कि आयुर्वेद की इम्यून मॉड्युलेटरी क्षमता वास्तविक है और दुनिया के लिए तैयार है।

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Where is Padaav Ayurveda located?


Padaav Ayurveda is based in Uttarakhand, with its main hospital located on the outskirts of Rudrapur. In addition, it has clinics in Dehradun and Bengaluru, and its doctors offer monthly consultations in Delhi and Ahmedabad.

What treatments are offered at Padaav Ayurveda?


Padaav Ayurveda offers evidence-based treatments for conditions like:
– Chronic migraines
– Pancreatitis
– Allergic rhinitis
– Childhood Asthma
– PCOS
– GERD
– Chronic Fatigue syndromes
– Certain forms of cancer

How does Padaav Ayurveda approach chronic conditions like migraines?


Padaav Ayurveda treats migraines holistically by addressing root causes through:
– Herbal remedies to reduce inflammation
– Panchakarma therapies like Shirodhara
– Dietary and lifestyle modifications to balance doshas
– Stress management techniques, including pranayam and meditation

Are the treatments at Padaav Ayurveda personalized?


Yes, all treatments at Padaav Ayurveda are personalized. Each patient undergoes a detailed consultation to understand their condition, constitution, and specific needs, ensuring tailored treatment plans.