वैद्य के अनुभव और शोध पर आधारित एक गहन विश्लेषण
पैंक्रियाटाइटिस (अग्न्याशय शोथ) एक जटिल और अक्सर गलत समझा जाने वाला रोग है। पश्चिमी अध्ययनों के प्रभाव के कारण, इसे लंबे समय से मुख्य रूप से शराब से जोड़ा जाता रहा है। हालांकि,पड़ाव में दशकों के नैदानिक अनुभव और प्रमुख भारतीय गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. प्रभा सब्बन के शोध (जिसे बॉम्बे में प्रकाशित किया गया था) से यह स्पष्ट होता है कि भारत में इस रोग के कारण पूरी तरह से अलग हैं।
1. मिथक: पैंक्रियाटाइटिस का मुख्य कारण शराब है? 🍷
तथ्य: भारतीय संदर्भ में यह बात सच्चाई से बहुत दूर है।
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पड़ाव के निष्कर्ष: 30 वर्षों से अधिक के अभ्यास के आधार पर, हमने पाया कि हमारे केवल 5% मरीज़ ही नियमित रूप से शराब का सेवन करते थे। एक महत्वपूर्ण 66% ने कभी शराब नहीं पी, और केवल 20% कभी-कभार ही लेते थे।
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असली भारतीय कारण: डॉ. सब्बन ने अपने अध्ययन में स्पष्ट किया है कि भारत में क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस को ट्रॉपिकल क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस कहा जाता है, जहाँ प्रमुख कारण प्रोटीन कुपोषण (Protein Malnutrition) और खनिज तत्वों की कमी (Mineral Deficiencies) हैं।
2. मिथक: पित्ताशय की पथरी या मसालेदार भोजन ही मुख्य कारक हैं?
तथ्य: ये कारक अक्सर भ्रामक या द्वितीयक होते हैं।
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पित्ताशय की पथरी (Gallstones): पित्ताशय की पथरी एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस को ट्रिगर कर सकती है, लेकिन यह एकमात्र कारण नहीं है।
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असली मुद्दा पित्ताशय का कार्य: मुख्य समस्या पित्ताशय का सही संकुचन (Contraction) है। तनाव और भोजन छोड़ना जैसे कारक संकुचन को प्रभावित करते हैं, जिससे गाद (sludge) और पथरी बनती है।
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मसालेदार भोजन: कोई भी अकेला भोजन मूल कारण नहीं है। असली दोषी हैं: भोजन छोड़ना, अनियमित/असमय खाना, गलत संयोजन (wrong food combinations), और गलत मात्रा (incorrect quantities)—ये आदतें अग्न्याशय पर तनाव डालती हैं।
3. मिथक: यह रोग केवल बड़ी उम्र के पुरुषों को प्रभावित करता है?
तथ्य: यह एक पुरानी धारणा है।
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उम्र की प्रवृत्ति: यह रोग अब युवा आबादी (16 से 24 वर्ष) और बच्चों में भी अधिक प्रचलित हो रहा है।
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लिंग: यद्यपि यह पुरुष-प्रधान रोग है, महिलाएं भी बड़ी संख्या में प्रभावित होती हैं।
पैंक्रियाटाइटिस की गंभीरता और पड़ाव का दृष्टिकोण
क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस एक प्रगतिशील रोग है जो व्यक्ति के जीवनकाल को कम करता है और इसमें कैंसर का जोखिम होता है।
पड़ाव का समाधान: मूल कारण को लक्षित करना
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प्रणालीगत क्षति: हम मानते हैं कि दवाओं की ओवरडोज या गलत संयोजन, या ट्रॉमा जैसे कई कारक अग्न्याशय को प्रभावित कर सकते हैं।
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जीवनशैली पर ध्यान केंद्रित: हमारा दृष्टिकोण प्रोटीन कुपोषण, खनिज कमी, और अनियमित जीवनशैली जैसे मूल कारणों को ठीक करने पर केंद्रित है।
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समग्र सुधार: पड़ाव में, मरीज़ सफलतापूर्वक स्थिर स्वास्थ्य प्राप्त करते हैं और सामान्य जीवन में लौटते हैं, जिससे उन्हें इस असाध्य माने जाने वाले रोग से मुक्ति मिलती है।






