अग्नाशयशोथ (Pancreatitis) का निदान अक्सर रोगियों को उत्तरों से ज़्यादा सवाल देता है। यह एक जटिल स्थिति है जो चिकित्सा की कठिन भाषा और अनिश्चितता से घिरी है। इस अनूठी बातचीत में, हर्ष गुप्ता, एक पूर्व रोगी जिन्होंने पड़ाव में स्थायी राहत पाई, वैद्य शिखा प्रकाश के साथ बैठकर उन सामान्य प्रश्नों को पूछते हैं जो उनके अपने अनुभव और लोगों के मन से उठते हैं। यह आपको सही जानकारी के साथ सशक्त करने की एक यात्रा है।
एक दौरे का विश्लेषण: दर्द का प्रकार और भ्रम
हर्ष अपनी खुद की यात्रा का वर्णन करते हुए बातचीत शुरू करते हैं, जिसमें वह बताते हैं कि उन्हें 11 दौरे पड़े थे, जिनमें से 2022 का दौरा सबसे गंभीर था, जिसके कारण उन्हें 3.5 महीने अस्पताल में रहना पड़ा और उनका वजन 86 किलो से घटकर मात्र 50 किलो रह गया। वह वैद्य प्रकाश से पूछते हैं कि अग्नाशयशोथ के विभिन्न प्रकार क्या हैं और यह बीमारी कब वास्तव में गंभीर हो जाती है।
वैद्य प्रकाश स्पष्ट करती हैं कि जहाँ 80% अग्नाशयशोथ के मामले हल्के होते हैं और अपने आप ठीक हो सकते हैं, वहीं शेष 20% से 30% गंभीर होते हैं और जानलेवा हो सकते हैं। वह विभिन्न प्रकारों को समझाती हैं:
- तीव्र अग्नाशयशोथ (Acute Pancreatitis): अचानक होने वाले, अक्सर गंभीर दौरे जो अपने आप ठीक हो सकते हैं।
- आवर्ती तीव्र अग्नाशयशोथ (Recurrent Acute Pancreatitis): जब ये तीव्र दौरे बार-बार होते हैं।
- नेक्रोटाइज़िंग अग्नाशयशोथ (Necrotizing Pancreatitis): सबसे गंभीर और खतरनाक रूप, जहाँ अग्न्याशय का पाचक रस अंग को ही “पचाना” शुरू कर देता है, जिससे ऊतक (tissue) नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु दर बढ़ जाती है।
वह इस बात पर जोर देती हैं कि अधिकांश रोगियों के लिए मृत्यु का डर नहीं, बल्कि “सबसे क्रूर दर्द” का डर होता है। यह दर्द भोजन, सामाजिक जीवन और बार-बार अस्पताल जाने के खर्च और भावनात्मक तनाव के प्रति एक गहरा डर पैदा कर देता है।
सामाजिक और मानसिक तनाव: भोजन, डर और स्वतंत्रता
हर्ष एक आम चिंता उठाते हैं: “सामान्य” भोजन खाने का डर और इसके कारण होने वाला सामाजिक अलगाव। वैद्य प्रकाश इसका समाधान पड़ाव के अनूठे दृष्टिकोण से करती हैं। उनका उपचार रोगियों को केवल दलिया या खिचड़ी तक सीमित नहीं रखता। इसके बजाय, उन्हें संतुलित और पौष्टिक आहार लेना सिखाया जाता है, जिसमें पनीर और घी जैसी चीजें भी शामिल हैं, ताकि कुपोषण से लड़ा जा सके। वह बताती हैं कि असली समस्या भोजन नहीं, बल्कि सही जानकारी की कमी और वसा (fat) का डर है, जिसके कारण रोगी खुद को भूखा रखने लगते हैं।
बातचीत में दर्द निवारक दवाओं का भी जिक्र होता है। अग्नाशयशोथ के गंभीर दर्द के लिए दवा आवश्यक है, लेकिन इसकी लत का जोखिम बहुत वास्तविक है। वैद्य प्रकाश बताती हैं कि यह खासकर उन रोगियों में ज्यादा होता है जिनका शराब का इतिहास रहा हो, और इसलिए सावधानीपूर्वक, डॉक्टर की देखरेख में दवाओं का सेवन करना ज़रूरी है।
ठीक होने का मार्ग: अस्पताल से परे
हर्ष के मामले में, जहाँ शुरुआती दौरे हल्के थे लेकिन बाद के दौरे गंभीर हो गए, यह सवाल उठता है कि एक हल्की स्थिति जानलेवा क्यों बन सकती है। वैद्य प्रकाश समझाती हैं कि तनाव, खराब नींद या अनुचित आहार जैसे ट्रिगर एक हल्के दौरे को गंभीर बना सकते हैं। वह यह भी बताती हैं कि उपचार में देरी एक प्रमुख कारण हो सकती है, जिससे “ऑटोडाइजेशन” गंभीर क्षति पहुँचा सकता है।
वह इस आम गलतफहमी को भी दूर करती हैं कि पित्त की पथरी हटाने जैसी प्रक्रियाएं इलाज की गारंटी देती हैं। वह समझाती हैं कि ये विशिष्ट कारणों को संबोधित कर सकती हैं, लेकिन अंतर्निहित प्रणालीगत समस्या को हल नहीं करती हैं।
आशा का संदेश: खुद को प्राथमिकता दें
वैद्य प्रकाश का हर्ष और सभी युवाओं के लिए अंतिम संदेश बहुत शक्तिशाली है: “खुद को प्राथमिकता दें।” वह उन्हें याद दिलाती हैं कि जब वह बीमार थे, तो उनके माता-पिता के अलावा कोई उनके साथ नहीं था, जिससे यह साबित होता है कि स्वास्थ्य के बिना, करियर और रिश्ते कोई मायने नहीं रखते।
वह स्वस्थ जीवन के लिए सरल आत्म-जाँच के मापदंड देती हैं: क्या आप अच्छी नींद ले रहे हैं? क्या आपको भूख लगती है? क्या आप तरोताज़ा और ऊर्जावान महसूस करते हैं? क्या आपकी पाचन क्रिया ठीक है? वह हर्ष के शब्दों को दोहराते हुए निष्कर्ष निकालती हैं कि डर वास्तविक है, लेकिन अगर आप एक-एक दिन करके इसका सामना करते हैं, तो यह समस्या हल हो सकती है।